वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, जिन्हें कई लोग भारत की सबसे कमजोर वित्त मंत्री मानते हैं, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया। यह बजट कई महत्वपूर्ण बदलावों और सुधारों को प्रस्तुत करता है जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास और सुधार लाने के उद्देश्य से तय्यार किया गया है। हालांकि, उनकी नीतियों और नेतृत्व पर कई आलोचनाएं भी हो रही हैं। आइए इस बजट के प्रमुख बिंदुओं और उनके प्रभाव पर एक विस्तृत नजर डालते हैं।
Income Tax Slabs FY 25 Under Revised New Regime
Income Range (lakh rupees) | Tax Rate (%) |
0 – 3 | Nil |
3 – 7 | 5 |
7 – 10 | 10 |
10 – 12 | 15 |
12 – 15 | 20 |
Above 15 | 30 |
वित्त वर्ष 2025 के लिए आयकर स्लैब में संशोधन किए गए हैं, जो नई व्यवस्था के तहत लागू होंगे। नई व्यवस्था के अनुसार, 0 से 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा। 3 से 7 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत, 7 से 10 लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत, 10 से 12 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत, 12 से 15 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा। यह नई व्यवस्था करदाताओं के लिए आयकर की दरों को स्पष्ट और सरल बनाने का प्रयास है, जिससे उन्हें अपने कर दायित्वों की बेहतर समझ हो सके।
कर सुधार:
इस बजट में नए कर स्लैब्स का परिचय दिया गया है, जो वेतनभोगियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। निम्नलिखित कर स्लैब्स का उल्लेख किया गया है:
- 6-7 लाख रुपये की आय पर 5% कर (पहले 10%)।
- 9-10 लाख रुपये की आय पर 10% कर (पहले 15%)।
- इन बदलावों से वेतनभोगियों को 17,500 रुपये की बचत होगी।
रोजगार और कौशल विकास:
रोजगार सृजन और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। बजट में 1 करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप योजना की घोषणा की गई है, जिससे युवाओं को व्यावसायिक अनुभव और रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, 1,000 नए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जाएगी, जो युवाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करेंगे और रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे।
MSME और विनिर्माण समर्थन:
माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) के लिए विशेष समर्थन की घोषणा की गई है। इसमें क्रेडिट गारंटी योजनाएं और मशीनरी के लिए ऋण सुविधाएं शामिल हैं, जिससे छोटे और मझोले उद्यमों को आर्थिक सहायता मिलेगी और उनका विकास संभव होगा।
वित्तीय पहल:
उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण की घोषणा की गई है, जिससे छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। यह कदम उच्च शिक्षा की पहुंच को बढ़ावा देगा और छात्रों को उनकी शिक्षा को जारी रखने में मदद करेगा।
कृषि और ग्रामीण विकास:
कृषि और ग्रामीण विकास के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस राशि का उपयोग कृषि क्षेत्र के सुधार और ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
अवसंरचना और क्षेत्रीय विकास:
अवसंरचना और क्षेत्रीय विकास के लिए आंध्र प्रदेश के लिए 15,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह राशि राज्य में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाएगी, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
महिला और सामाजिक कल्याण:
महिलाओं और लड़कियों के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस राशि का उपयोग महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके कल्याण के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से समाज के कमजोर वर्गों को सहायता प्रदान की जाएगी।
मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि:
बजट में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मुद्रास्फीति दर को 4% पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए वित्तीय नीतियों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
डिजिटल और तकनीकी प्रगति:
डिजिटल और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास की योजना बनाई गई है। यह कदम देश में डिजिटल बदलाव को बढ़ावा देगा और तकनीकी क्षेत्र में सुधार लाएगा।
विश्लेषण और निष्कर्ष:
निर्मला सीतारमण की नीतियों और नेतृत्व पर आलोचनाएं भी हो रही हैं। विपक्ष का मानना है कि उनकी नीतियां पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं हैं और देश की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में असफल रही हैं। हालांकि, बजट में कई महत्वपूर्ण सुधार और योजनाएं पेश की गई हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
इस बजट का उद्देश्य भारत के समग्र विकास को प्रोत्साहित करना और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाना है। सही मायने में इन योजनाओं और सुधारों का प्रभाव तभी देखा जा सकेगा जब उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा और उनके परिणामों का आकलन किया जाएगा। देश की आर्थिक स्थिति और विकास की दिशा में इस बजट का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है, बशर्ते कि इसे सही तरीके से और समय पर लागू किया जाए।