क्या अश्विनी वैष्णव अब तक के सबसे खराब रेल मंत्री
भारतीय रेलवे में सुरक्षा सुधार के लिए उन्नत तकनीकों के बावजूद, अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में कई बड़ी ट्रेन दुर्घटनाएँ हुई हैं। कवच तकनीक जैसी अत्याधुनिक प्रणालियाँ लागू होने के बावजूद, आंशिक कार्यान्वयन, तकनीकी खामियाँ, मानवीय त्रुटियाँ, और रखरखाव की कमी के कारण ये दुर्घटनाएँ हो रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने विफलताओं के बावजूद अश्विनी वैष्णव अभी भी रेल मंत्री क्यों बने हुए हैं? उनकी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या राजनीतिक समर्थन उन्हें इस पद पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त है, जबकि जनता की जान की कीमत पर ऐसा किया जा रहा है? यह समय है कि इस गंभीर मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श हो और उचित उपाय की जाए।
भारतीय रेल 2021-2024 के बीच हुए हादसे
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में हुए रेल हादसों की सूची:
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में हुए रेल हादसों की सूची:
तारीख | दुर्घटना विवरण |
2021 | |
10 फरवरी | मालाबार एक्सप्रेस की पार्सल बोगी में वरकला और पारावूर के बीच आग लग गई, कोई हताहत नहीं हुआ। |
2 मार्च | तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में पटरियों का निरीक्षण कर रहे दो रेलवे कर्मचारी एक एक्सप्रेस ट्रेन से कट गए। |
5 जुलाई | अंबूर रेलवे स्टेशन के पास सिग्नल की मरम्मत करते समय दो रेलवे कर्मचारी मालगाड़ी से टकरा गए और उनकी मृत्यु हो गई। |
25 अगस्त | गुवाहाटी-हावड़ा सरायघाट कोविड विशेष ट्रेन की चार बोगियाँ चायगाँव रेलवे स्टेशन पर पटरी से उतर गईं। |
2022 | |
13 जनवरी | बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस डोमोहानी रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गई, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई। |
3 अप्रैल | पवन एक्सप्रेस नासिक के पास पटरी से उतर गई, जिससे दो लोग घायल हो गए। |
25 मार्च | नवसारी और मारोइल रेलवे स्टेशन के बीच ट्रैक निरीक्षण करते समय दो ट्रैकमैन मुंबई-नई दिल्ली दूरंतो एक्सप्रेस से टकरा गए और उनकी मृत्यु हो गई। |
2023 | |
2 जनवरी | सूर्यनगरी एक्सप्रेस के 11 कोच मारवाड़ जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गए, जिसमें दस लोग घायल हो गए। |
3 अप्रैल | एक व्यक्ति ने एलेटूर, कोझिकोडे, केरल में एक एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगा दी, जिससे आठ यात्री जल गए और तीन लोग रेलवे ट्रैक पर मृत पाए गए। |
15 मई | चेन्नई-बंगलौर डबल डेकर एक्सप्रेस का एक कोच बिसानत्तम स्टेशन के पास पटरी से उतर गया, कोई हताहत नहीं हुआ। |
2 जून | ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें 296 लोगों की मौत हो गई और 1200 से अधिक लोग घायल हो गए। |
8 जून | नीलगिरी माउंटेन रेलवे का आखिरी कोच कूनूर स्टेशन के पास पटरी से उतर गया, कोई हताहत नहीं हुआ। |
9 जून | विजयवाड़ा-चेन्नई सेंट्रल जन शताब्दी एक्सप्रेस का एक कोच बेसिन ब्रिज स्टेशन के पास पटरी से उतर गया, कोई हताहत नहीं हुआ। |
11 जून | चेन्नई सेंट्रल से तिरुवल्लूर की ओर जा रही चेन्नई उपनगरीय स्थानीय ट्रेन का आखिरी कोच बेसिन ब्रिज स्टेशन के पास पटरी से उतर गया, कोई हताहत नहीं हुआ। |
22 जून | चेन्नई से मुंबई जा रही लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस का एक कोच वयासारपाड़ी स्टेशन के पास आग लग गई, कोई हताहत नहीं हुआ। |
25 जून | एक मालगाड़ी ने ओंडाग्राम रेलवे स्टेशन पर दूसरी मालगाड़ी से टकरा गई। |
7 जुलाई | हैदराबाद-गंगानगर हमसफर एसएफ एक्सप्रेस की तीन बोगियों में तेलंगाना के यादाद्री भुवनगिरी जिले में आग लग गई, कोई हताहत नहीं हुआ। |
23 अगस्त | मिजोरम में बैराबी-सैरंग लाइन पर निर्माणाधीन रेलवे पुल गिरने से कम से कम 26 मजदूरों की मौत हो गई। |
26 अगस्त | मदुरै जंक्शन के पास लखनऊ-रामेश्वरम भारत गौरव ट्रेन में आग लग गई, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई और 20 लोग घायल हो गए। |
23 सितंबर | तिरुचिरापल्ली-श्री गंगानगर हमसफर एसएफ एक्सप्रेस के ईओजी और बी1 कोच में वलसाड रेलवे स्टेशन के पास आग लग गई। |
26 सितंबर | शकर बस्ती से मथुरा जाने वाली ईएमयू ट्रेन पटरी से उतर गई और प्लेटफॉर्म 2ए पर चढ़ गई। |
11 अक्टूबर | उत्तर पूर्व एक्सप्रेस के 6 कोच रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के पास पटरी से उतर गए, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक लोग घायल हो गए। |
29 अक्टूबर | विशाखापत्तनम-रायगड़ा पैसेंजर ट्रेन विशाखापत्तनम-पलासा पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई, जिसमें कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 50 लोग घायल हो गए। |
31 अक्टूबर | सुहेलदेव सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्रयागराज के बाहरी इलाके में पटरी से उतर गई, कोई हताहत नहीं हुआ। |
15 नवंबर | दिल्ली-दरभंगा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में आग लग गई, एटा, उत्तर प्रदेश के पास। |
13 दिसंबर | पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जंक्शन रेलवे स्टेशन पर 133 साल पुराना ओवरहेड वाटर टैंक गिर गया, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई और 34 लोग घायल हो गए। |
2024 | |
28 फरवरी | झारखंड के जमताड़ा-करमटांड़ के पास ट्रेन से कटकर दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हो गए। |
15 जून | 12645 एर्नाकुलम-हजरत निजामुद्दीन मिलेनियम एक्सप्रेस के निचले बर्थ पर सो रहे 62 वर्षीय व्यक्ति की ऊपरी बर्थ गिरने से मृत्यु हो गई। |
17 जून | पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के रंगापानी रेलवे स्टेशन के पास एक ओवरस्पीडिंग मालगाड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई, जिसमें दस लोगों की मौत हो गई और कम से कम 60 लोग घायल हो गए। |
18 जुलाई | उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के झिलाही के पास डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस के 12 कोच पटरी से उतर गए, जिसमें कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 32 लोग घायल हो गए। |
भारत में प्रमुख ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद इस्तीफा देने वाले रेल मंत्रियों की सूची
यहाँ प्रमुख ट्रेन दुर्घटनाओं के बाद इस्तीफा देने वाले रेल मंत्रियों की सूची और इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या दी गई है:
रेल मंत्री | इस्तीफा का वर्ष | ट्रेन दुर्घटना | मृत्यु संख्या |
लाल बहादुर शास्त्री | 1956 | महबूबनगर ट्रेन दुर्घटना | 112 |
मधु दंडवते | 1990 | पटना ट्रेन दुर्घटना | 60 |
जॉर्ज फर्नांडिस | 1999 | खन्ना ट्रेन दुर्घटना | 212 |
नीतीश कुमार | 2002 | गैसल ट्रेन दुर्घटना | 290 |
ममता बनर्जी | 2000 | घातक ट्रेन दुर्घटना | 49 |
नोट: इन संख्याओं में कुछ भिन्नता हो सकती है क्योंकि विभिन्न स्रोतों में विभिन्न आँकड़े हो सकते हैं।
अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में रेल हादसों हुई 368 भारतीयोंकी मृत्यु:
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल (2021-2024) में भारतीय रेल हादसों में कुल 368 लोगों की मौत हुई। नीचे महत्वपूर्ण घटनाओं का विवरण दिया गया है:
- 2021:
- तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में 2 कर्मचारियों की मौत।
- अंबूर रेलवे स्टेशन के पास 2 कर्मचारियों की मौत।
- 2022:
- बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस हादसे में 9 लोगों की मौत।
- नवसारी और मारोइल रेलवे स्टेशन के बीच 2 ट्रैकमैन की मौत।
- 2023:
- ओडिशा के बालासोर जिले में कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में 296 लोगों की मौत।
- एलेटूर, कोझिकोडे में 3 लोग रेलवे ट्रैक पर मृत पाए गए।
- मिजोरम में बैराबी-सैरंग लाइन पर पुल गिरने से 26 मजदूरों की मौत।
- मदुरै जंक्शन के पास 9 लोगों की मौत।
- 2024:
- झारखंड के जमताड़ा-करमटांड़ के पास 2 लोगों की मौत।
- पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में 10 लोगों की मौत।
- उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में डिब्रूगढ़-चंडीगढ़ एक्सप्रेस हादसे में 4 लोगों की मौत।
इस प्रकार, अश्विनी वैष्णव के कार्यकाल में हुए विभिन्न रेल हादसों में कुल 368 लोगों की जान गई।
अश्विनी वैष्णव अभी भी रेल मंत्री क्यों हैं
यह बेहद निराशाजनक बात है कि अश्विनी वैष्णव अभी भी भारत के रेल मंत्री के पद पर बने हुए हैं, जबकि उनके कार्यकाल में कई भयानक ट्रेन दुर्घटनाएँ हुई हैं। वर्तमान समय में जब रेल प्रौद्योगिकी इतनी उन्नती हो चुकी है, तब भी इतनी दुर्घटनाएँ होना बेहद चिंताजनक है।अश्विनी वैष्णव का कार्यकाल कई विवादों और असफलताओं से भरा हुआ है। उन्होंने सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने में असफलता दिखाई है। हर बार जब कोई बड़ी ट्रेन दुर्घटना होती है, तो जनता के लिए केवल एक ही उत्तर होता है: अनदेखी और लापरवाही।
रेलवे सुरक्षा में निवेश और सुधार के बजाय, वे केवल राजनीतिक बयानबाजी और दोषारोपण में लगे रहते हैं। क्या वे वास्तव में यह समझते हैं कि हर दुर्घटना में कितनी मासूम जानें चली जाती हैं? क्या वे यह समझते हैं कि हर दुर्घटना में कितने परिवार उजड़ जाते हैं?
इतनी उन्नत तकनीक के बावजूद, सुरक्षा उपायों का अभाव और दुर्घटनाओं की लगातार बढ़ती संख्या उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि उन्हें अब तक पद से क्यों नहीं हटाया गया? क्या राजनैतिक समर्थन और उच्च स्तर पर मौजूद संरक्षा उन्हें बनाए रखने के लिए पर्याप्त है, जबकि जनता की जान की कोई कीमत नही हे?
क्या अश्विनी वैष्णव को तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए और रेलवे में सुधार के लिए एक सक्षम और जिम्मेदार नेता की नियुक्ति की जानी चाहिए? जनता की सुरक्षा से बढ़कर कुछ नहीं है और ऐसे मंत्री को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता जो अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल रहा हो।
भारतीय रेल की कवच टेक्नोलॉजी सुरक्षा प्रणाली
कवच भारतीय रेल द्वारा विकसित की गई एक अत्याधुनिक स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली है, जिसे ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने और यात्री सुरक्षा को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहाँ कवच टेक्नोलॉजी की कुछ प्रमुख विशेषताएँ और जानकारी दी गई हैं:
- स्वदेशी विकास: कवच भारतीय रेलवे और भारतीय उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली है।
- सुरक्षा और बचाव: यह प्रणाली दो ट्रेनों के बीच टकराव को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है। जब दो ट्रेनें एक-दूसरे के बहुत करीब आ जाती हैं, तो कवच स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर दुर्घटना को रोकता है।
- स्पीड मॉनिटरिंग: कवच प्रणाली ट्रेनों की गति की निगरानी करती है और आवश्यकता पड़ने पर गति को नियंत्रित करती है। यह ट्रेनों को अधिकतम अनुमत गति सीमा से अधिक जाने पर स्वचालित रूप से धीमा कर देती है।
- सिग्नल ओवेर्रन प्रोटेक्शन: यदि ट्रेन चालक लाल सिग्नल को पार करने की कोशिश करता है, तो कवच सिस्टम स्वचालित रूप से ट्रेन को रोकने के लिए ब्रेक लगाता है, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
- रियल-टाइम ट्रैकिंग: कवच ट्रेनों की वास्तविक समय में ट्रैकिंग करता है और ट्रेनों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद करता है।
- जीपीएस आधारित सिस्टम: कवच एक जीपीएस आधारित प्रणाली है, जो ट्रेनों की स्थिति को सटीक रूप से ट्रैक करती है और उनके बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखने में मदद करती है।
- इंस्टॉलेशन और कार्यान्वयन: कवच प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से भारतीय रेलवे के विभिन्न मार्गों पर लागू किया जा रहा है। इसे पहले उन मार्गों पर लागू किया जा रहा है जहां दुर्घटनाओं का खतरा अधिक होता है।
- लाभ: कवच प्रणाली न केवल दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है बल्कि रेलवे संचालन की समग्र सुरक्षा और दक्षता में भी सुधार करती है।
कवच प्रणाली भारतीय रेलवे की सुरक्षा और आधुनिकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है।
कवच तकनीक के बावजूद दुर्घटनाएँ क्यों होती हैं?
कवच तकनीक के बावजूद ट्रेन दुर्घटनाएँ हो सकती हैं क्योंकि इसका आंशिक कार्यान्वयन, तकनीकी खामियाँ, रेल कर्मचारियोंकी त्रुटियाँ, संचार मध्यम में समस्याएँ और रखरखाव की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं। कवच प्रणाली को अभी भी कई मार्गों पर पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है, जिससे उन क्षेत्रों में दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, तकनीकी खामियाँ और मानवीय त्रुटियाँ भी दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। प्रभावी संचार और नियमित रखरखाव की आवश्यकता है ताकि कवच प्रणाली सही से काम कर सके और ट्रेन दुर्घटनाओं को रोका जा सके।